तमिलनाडु में वे वोट के लिए राजनीति कर रहे हैं, लोगों के लिए नहीं? तो क्या हम देश से भ्रष्टाचार का उन्मूलन कर सकते हैं? – सामाजिक कार्यकर्ता।

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08 सितम्बर 2024 • मक्कल अधिकारम

तमिलनाडु में राजनीतिक दल वोट के लिए राजनीति करते हैं। यही राजनीति! जनता के लिए नहीं। वोट के लिए राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों, उनकी योग्यता, सेवा और भ्रष्टाचार की परवाह किए बिना और जनता के सामने केवल उनके भाषणों का विज्ञापन करने वाले कॉरपोरेट मीडिया को रियायतें और विज्ञापन देकर केंद्र व राज्य सरकार का सूचना विभाग करदाताओं का करोड़ों पैसा बर्बाद कर रहा है।

इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। राजनीति क्या है? जो लोग यह नहीं जानते हैं, उनके लिए ये संदेश हैं कि क्या यह सच है? गलत? वे ऐसा करने के लिए न तो योग्य हैं और न ही सक्षम हैं। जिन लोगों ने राजनीति के बारे में पढ़ा है, वे खबर को समझ सकते हैं अगर खबर को एक कुंद व्यक्ति के रूप में दिया जाए। लेकिन अशिक्षित अभी भी इससे धोखा खा रहे हैं।

अगर कुछ अन्य राजनीतिक दल इस खबर की आलोचना करते हैं तो सच्चाई क्या है? वह सामने आ जाएगा। यदि नहीं, तो यह भी नहीं आएगा। इतना ही नहीं, इन कारपोरेट अखबार के चैनलों का काम है कि वे देश की जनता को ऐसी खबरें दें कि कितने फर्जी राजनीतिक विचार हैं और राजनीतिक दल ऐसे बात कर रहे हैं जैसे वे लोगों की सेवा कर रहे हों और ऐसी खबरें दे रहे हों।

इसके लिए आपको अपने पैसे से अखबार चलाना होगा। आपको अपने पैसे से टीवी चलाना होगा। जब यह करदाता के पैसे पर किया जाता है, तो यह लोगों के लिए एक वास्तविक संदेश होना चाहिए। आप राजनीतिक दलों और शासकों के लिए अच्छे लोगों के रूप में खुद को छिपा रहे हैं और यहां के लोगों को धोखा दे रहे हैं। हम जैसे अनुभवी पत्रकार ही इस बात को समझ सकते हैं। पूछे जाने पर प्रेस अधिकारियों का कहना है कि यह कानून है।

क्या पे्रस अधिनियम लोगों को धोखा देने में सहायता करता है? क्या प्रेस को ऐसे कानून की जरूरत है? ये सामाजिक कार्यकर्ताओं के मुख्य प्रश्न हैं? एक तरफ टेलीविजन पर महाविष्णु नाम के आध्यात्मिक व्यक्ति की वाणी में इस बारे में बात करने वाले कुछ लोगों ने उन्हें बड़ा सामाजिक अपराधी बना दिया। इसके बारे में सोचकर ही मुझे हंसी आती है। यही इस पत्रकारिता की हद है। कोई कुछ भी कहे, वे आज निष्पक्ष फैसला देने के योग्य नहीं हैं। वह बड़ी पत्रिका है, बड़ी टेलीविजन है।

इसके अलावा, अगर लोगों को इस सब से धोखा दिया जाता है, तो लोग राजनीतिक दलों के भाषणों से धोखा खाएंगे। इस वोट के लिए राजनीति में भ्रष्टाचार ही किया जा सकता है। लोगों को वोट के बदले पैसा तभी दिया जा सकता है जब वे भ्रष्ट हों। आज की राजनीति अच्छे लोगों के नाम पर लोगों से बात करने की है। अंतरात्मा के अनुसार बोलने के लिए कोई राजनीति नहीं है।

क्योंकि वोट के लिए राजनीति करने वाले अपनी अंतरात्मा की आवाज पर नहीं बोलते। जो लोग अपनी अंतरात्मा की आवाज पर राजनीति करते हैं, वे लोगों के लिए राजनीति करते हैं, क्या आप बता सकते हैं कि आज तमिलनाडु में कितने राजनीतिक दल हैं? क्या यह कार्यकर्ताओं के लिए मुख्य सवाल है?

देश में भ्रष्टाचार अभी भी इस द्रविड़ राजनीतिक संस्कृति में एक ऐसी राजनीति के रूप में चल रहा है जिसे लोग स्वीकार और बर्दाश्त नहीं कर सकते। यानी डीएमके एआईएडीएमके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को उजागर करेगी और एआईएडीएमके डीएमके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को उजागर करेगी। अभी तक यह राजनीति एक-दूसरे की आलोचना पर चलती रही है। लोग पांच साल में अपना भ्रष्टाचार भूल जाते हैं।

तब लोग सोचते हैं कि अन्नाद्रमुक अच्छी है और द्रमुक बुरी। इसी प्रकार, जब एआईएडीएमके कुछ समय से उनके द्वारा किए गए सभी भ्रष्टाचारों को उजागर करती है, तो तमिलनाडु के लोग डीएमके को बुरा और एआईएडीएमके को अच्छा बताकर धोखा दे रहे हैं। समाधान क्या है? एक तरफ इस घोटाले में शामिल कॉरपोरेट मीडिया को देश में प्रेस के कानूनों को बदलना पड़ रहा है। गैर-व्यावसायिक पत्रिकाओं को रियायतें और विज्ञापन देने के बजाय सरकारी रियायतें और विज्ञापन जनहित से जुड़े अखबारों को ही दिए जाने चाहिए।

जब तक इस पर लगाम नहीं लगेगी तब तक ये कॉरपोरेट मीडिया भ्रष्टाचार को स्वीकार करके वही गलती करता रहेगा। इसके बाद, कानून के अनुसार, विवेक के अनुसार, न्याय राजाओं को बिना देरी के एक या दो साल के भीतर मामले का फैसला करना चाहिए।

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